मालपुरा के श्री डिग्गी कल्याण जी मंदिर की पूरी जानकारी
इस स्थान को डिग्गीपुरी के नाम से भी जाना जाता है वैसे तो इस मंदिर में रोजाना भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है लेकिन प्रत्येक माह पूर्णिमा के समय यहां एक मेला लगता है, जिसमें काफी भीड़ होती है। अगर आप श्री कल्याण जी मंदिर के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं या फिर इस मंदिर के दर्शन करने की योजना बना रहे हैं तो हमारे इस लेख को अवश्य पढ़ें जिसमे हम आपको मंदिर के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं –
1. श्री डिग्गी कल्याण मंदिर का इतिहास –
2. डिग्गी कल्याण जी मंदिर की कहानी –
डिग्गी कल्याण जी मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। एक बार इंद्र के दरबार में कुछ अप्सराएं नृत्य कर रही थी तो उन्हें देखकर उर्वशी को हंसी आ गई और इस वजह से इंद्रदेव उन पर नाराज हो गए। इसके बाद इंद्रदेव ने उर्वशी को 12 साल तक मृत्युलोक में रहने का दंड दिया। बता दें कि उर्वशी मृत्यु लोक में सप्त ऋषि आश्रम में रहने लगी और उनकी सेवा से प्रसन्न होकर ऋषियों ने उन्हें वरदान दिया। उर्वशी ने ऋषि और से इंद्र के पास वापस जाने का वरदान मांगा। एक दिन राजा दिगवा ने उर्वशी को देखा तो उसकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया। राजा दिगवा ने उर्वशी को अपने महल में आमंत्रित किया। लेकिन अप्सरा ने उनके निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया और राजा को बताया कि वह भगवान इंद्र की अप्सरा हैं। इसके बाद राजा ने भगवान इंद्र को युद्ध करने की चुनौती दी!
उर्वशी ने राजा से कहा कि अगर वे इंद्र से युद्ध हार जाते हैं तो वह उसे श्राप दे देगी। भगवान विष्णु से छल करके इंद्र ने युद्ध जीत लिया जिसके बाद शर्त के अनुसार अप्सरा उर्वशी ने राजा को कुष्ठ रोग से पीड़ित होने का शाप दिया। वह एक कोढ़ी बन गया क्योंकि उसने अप्सरा को नाराज कर दिया था। कुष्ठ रोग से छुटकारा पाने के लिए, राजा ने गहन तपस्या की। तपस्या खुश होकर भगवान विष्णु उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। भगवान विष्णु ने राजा को नदी के किनारे एक दफन मूर्ति के बारे में बताया और उसे उस मूर्ति को एक मंदिर में स्थापित करने के लिए कहा गया। जब राजा दिगवा ने मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया वो बिलकुल ठीक हो गया।
3. डिग्गी कल्याणजी मंदिर के खुलने और बंद होने का समय –
- कल्याणजी मंदिर की पूजा मौसम के आधार पर संचालित होता है। डिग्गी कल्याणजी मंदिर सुबह के 5 बजे से रात के 9 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता हैं।
- आमतौर पर सर्दियों और गर्मियों के मौसम में डिग्गी कल्याण जी के मंदिर के खुलने और बंद होने के समय हेरफेर की जाती हैं।
1 डिग्गी कल्याणजी मंदिर में आरती का समय सर्दियों में –
- मंगल आरती – सुबह 5 बजे
- शृंगार आरती – सुबह 7 बजे
- भोग – दोपहर 2 बजे
- शयन – दोपहर 2:30 बजे
- जागरण – दोपहर 3:30 बजे
- शाम की आरती – शाम 6:30 बजे
- भोग – प्रात: 7:30 बजे
- शयन आरती – रात 9 बजे
2 कल्याणजी मंदिर में आरती का समय गर्मियों में –
- मंगल आरती – सुबह 4 बजे
- शृंगार आरती – सुबह 6 बजे
- भोग – दोपहर 2 बजे
- शयन – दोपहर 2:30 बजे
- जागरण – शाम 4 बजे
- शाम की आरती – शाम 7:30 बजे
- भोग – रात्रि 9 बजे
- शयन आरती – रात 10 बजे
5. श्री डिग्गी कल्याण मंदिर मालपुरा घूमने जाने का अच्छा समय –
श्री डिग्गी कल्याण मंदिर मालपुरा की यात्रा साल में कभी भी की जा सकती है। अगर आप अपनी यात्रा का भरपूर मजा लेना चाहते हैं तो अक्टूबर से लेकर मार्च के महीने में मंदिर के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं।
6. डिग्गी कल्याण जी मंदिर मालपुरा डिग्गी के पास में घूमने लायक आकर्षण स्थल –
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सुनहरी कोठी –
सुनहरी कोठी टोंक के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। सुनहरी कोठी (सोने की हवेली) राजस्थान में स्थित एक सुंदर महल है जो अपनी सुंदरता की वजह से जाना जाता है। इस महल की सबसे खास बात है कि इसके अंदर की दीवारों को सोने के पॉलिश से सजाया गया है इसके साथ ही दीवारों पर कांच की कलाकारी भी की गई है। बताया जाता है कि इस महल का निर्माण टोंक के नवाब मोहम्मद इब्राहिम अली खान (1867-1930) नृत्य और संगीत के लिए के लिए बनाया था। अगर आप टोंक की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको एक बार इस सुनहरी कोठी की यात्रा जरुर करना चाहिए।
हाथी भाटा –
हाथी भाटा राजस्थान में टोंक- सवाई माधोपुर हाईवे से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजस्थान के कुछ खूबसूरत स्मारकों में से एक है। यह एक ही पत्थर से निर्मित एक हाथी है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। हाथी भाटा पर्यटन स्थल की सबसे खास बात यह है कि ये राजस्थान के अन्य पर्यटन स्थलों की तरह लोगों को अन्य हिस्सों पर ऑनलाइन जानकारी प्रदान करता है। अगर आप टोंक की यात्रा करने जा रहे हैं तो आपको एक बार हाथी भाटा की यात्रा जरुर करना चाहिए।
जामा मस्जिद –
टोंक जिले में स्थित जामा मस्जिद राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध और शानदार मस्जिदों में से एक है। आपको बता दें यह मस्जिद अंदर से जटिल पैटर्न के साथ और बाहर से शानदार नाजुक पैटर्न से सजी हुई है। इस मस्जिद में आज भी कुछ प्राचीन लैंप हैं।
अरबी और फारसी अनुसंधान संस्थान –
अरबी और फारसी अनुसंधान संस्थान टोंक शहर में दो पहाड़ियों के बीच स्थित है। आपको बता दें कि इस संग्राहलय में अरबी में पुस्तकों और पांडुलिपियों के कुछ सबसे पुराने का संग्रह देखा जा सकता है। यहां रखी हुई कुछ प्राचीन पुस्तकें सोने, पन्ना, मोती और माणिक्य से सुभोभित है। अगर आप टोंक की यात्रा करने जा रहें हैं तो आपको इस संस्थान की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
7. श्री डिग्गी कल्याण मंदिर के आसपास घूमने की अन्य जगह –
- बीसलपुर डेम – Bisalpur Dam
- हादी रानी बोरी – Hadi Rani Baori
- जल्देवी मंदिर – Jaldevi Temple
- घंटा घर – Clock Tower
8. श्री डिग्गी कल्याण मंदिर टोंक कैसे जाये –
गर आप टोंक शहर की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि यह जयपुर शहर से टोंक 96 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां की यात्रा आप सड़क, हवाई, और रेल आदि परिवहनों के माध्यम से कर सकते हैं।
8.1 हवाई मार्ग से डिग्गी कल्याण मंदिर कैसे पहुंचें –
अगर आप हवाई मार्ग द्वारा डिग्गी कल्याण जी मंदिर की यात्रा करने जा रहें हैं तो बता दें कि जयपुर सांगानेर हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है और देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस हवाई अड्डे से आप टोंक शहर तक पहुंचने के लिए कैब या बस से यात्रा कर सकते हैं।
8.2 डिग्गी कल्याण जी मंदिर रेल मार्ग से कैसे पहुँच
जो भी पर्यटक रेल मार्ग द्वारा डिग्गी कल्याण जी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं उनको हम जानकारी देना चाहते हैं कि टोंक का निकटतम मुख्य रेलवे स्टेशन बनस्थली-नयाई है, जो टोंक से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यात्री इस रेलवे स्टेशन से भंवर टोंक के लिए ट्रेन पकड़ सकते हैं।
8.3 कैसे पहुंचें डिग्गी कल्याण जी मंदिर सड़क मार्ग से –
जो भी लोग अपनी निजी कार या फिर बस और टैक्सी की मदद से डिग्गी कल्याण जी मंदिर की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं उनके लिए बता दें कि टोंक राज्य के प्रमुख शहरों से अच्छी सड़कों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। राजस्थान पर्यटन यात्रियों को कई नियमित बस सेवा प्रदान करता है जो प्रमुख पर्यटन शहरों से चलती हैं।
9. डिग्गी कल्याण जी मंदिर मालपुरा का नक्शा –
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